Thursday, 22 July 2021

हिंदी कविता - मीठा झगड़ा

 मीठा झगड़ा


 
अकड़ के बोली गोल जलेबी, मुझसा कौन रसीला ?
मुझको चाहे सारी दुनिया, गाँव, शहर, क़बीला !

रबड़ी बोली , चुप हो जाओ, मुझको क्या बतलाती ,
मुझको पाकर सारी दुनिया, बर्तन चट कर जाती !

रसगुल्ले ने देखा सबको, हलकी सी मुस्कान भरी,
मुझे चाहते राजा, रानी , बच्चे, बूढ़े और परी!

दूध बीच में आकर बोला, मत अब करो बड़ाई,
मेरे ही कारण तुम सबने , अपनी शान बढ़ाई !

मेरे घी में तली जलेबी, मुझसे बनती रबड़ी,
मुझसे बने छेना रसगुल्ला, क्यों डींग हांकता तगड़ी!

मैं हूँ पिता तुम्हारा, सब मुझको करो प्रणाम,
मिलकर रहना भाई, बहनों, जाओ अब करो आराम!

 

 


 

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