Thursday, 22 July 2021

हिंदी कविता - सवेरा

सवेरा

उदय हुआ सूरज पूरब में
आसमान में छाई लाली,
रही न रात, न रहा अँधेरा
रही न चंदा की उजियाली।

डाल-डाल पर बैठे पक्षी
चहचह-चहचह  चहक रहे हैँ।
खिले फूल मुस्कायीँ कलियाँ
सारे उपवन महक रहे हैँ।

हवा बह रही धीमी-धीमी
शीतल मंद और सुखदाई,
जाग गए हैं, खेत, बाग़, वन
पेड़ ले रहे हैं अंगड़ाई |

कण-कण  पर बिखरे हैं मोती
कण-कण  पर बिखरी हैं मनियां,
कितनी  मनहर कितनी सुन्दर
सुखद सुहानी ये घड़ियाँ |

                                 -Dwarika Prasad Maheswari
 
 


 

No comments:

Post a Comment

Quiz-1 on ISRO

Q1: Who was the founder of ISRO?      a) Vikram Sarabhai      b) Homi J. Bhabha      c) A.P.J. Abdul Kalam Answer: a) Vikram Sarabhai   Q2: ...