सवेरा
उदय हुआ सूरज पूरब में
आसमान में छाई लाली,
रही न रात, न रहा अँधेरा
रही न चंदा की उजियाली।
डाल-डाल पर बैठे पक्षी
चहचह-चहचह चहक रहे हैँ।
खिले फूल मुस्कायीँ कलियाँ
सारे उपवन महक रहे हैँ।
हवा बह रही धीमी-धीमी
शीतल मंद और सुखदाई,
जाग गए हैं, खेत, बाग़, वन
पेड़ ले रहे हैं अंगड़ाई |
कण-कण पर बिखरे हैं मोती
कण-कण पर बिखरी हैं मनियां,
कितनी मनहर कितनी सुन्दर
सुखद सुहानी ये घड़ियाँ |
-Dwarika Prasad Maheswari
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